2025 में नकद लेन-देन के नए नियम लागू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना, डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देना और अवैध वित्तीय गतिविधियों जैसे कर चोरी और काले धन पर रोक लगाना है। इन नियमों के तहत, नकद निकासी और जमा दोनों के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं।
1. नकद निकासी पर टीडीएस (TDS):
सरकार ने नकद निकासी पर कर संग्रहण को सख्त किया है।एक वित्तीय वर्ष में यदि किसी खाते से ₹1 करोड़ से अधिक नकद निकासी होती है, तो 2% टीडीएस लगाया जाएगा।
जिन व्यक्तियों ने आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनके लिए यह सीमा और कम कर दी गई है। ऐसे मामलों
में:
₹20 लाख से अधिक की निकासी पर 2% टीडीएस लगेगा।
₹1 करोड़ से अधिक की निकासी पर 5% टीडीएस लिया जाएगा।
2. नकद जमा की सीमा
और रिपोर्टिंग:
बड़े नकद जमा को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए गए हैं:
बचत खातों में ₹10 लाख से अधिक और चालू खातों में
₹50 लाख से अधिक की वार्षिक जमा को
आयकर विभाग को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।
यह नियम काले धन और अवैध वित्तीय लेन-देन की पहचान करने के
उद्देश्य से लागू किया गया है।
3. छोटे खातों पर
प्रतिबंध:
जन धन और अन्य छोटे खातों में मासिक निकासी सीमा ₹10,000 तय की गई है। यह मुद्रा
जमाखोरी और बिचौलियों की भूमिका को कम करने के लिए है।
4. नकद लेन-देन पर
प्रतिबंध (सेक्शन 269ST):
किसी भी एकल दिन में ₹2 लाख से अधिक नकद लेन-देन
प्रतिबंधित किया गया है।
शादी या अन्य विशेष आयोजनों के लिए नकद निकासी या लेन-देन करने
वालों को इसके उपयोग का विवरण देना होगा। उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का
प्रावधान है।
5. डिजिटल लेन-देन
को प्रोत्साहन:
नकद पर निर्भरता को कम करने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। डेबिट और क्रेडिट कार्ड से लेन-देन पर कुछ शुल्कों को समाप्त किया गया है, ताकि लोग डिजिटल माध्यमों का अधिक उपयोग करें।
नियमों का उद्देश्य:
इन नियमों का उद्देश्य आर्थिक पारदर्शिता लाना,
वित्तीय गतिविधियों पर निगरानी
बढ़ाना,
और देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था
को मजबूती देना है। नकद लेन-देन पर प्रतिबंध से काले धन और कर चोरी पर रोक लगेगी,
साथ ही डिजिटल इंडिया मिशन को
बल मिलेगा।
लाभ और चुनौतियां:
इन नियमों के लागू होने से बैंकिंग प्रणाली में सुधार होगा और कर
संग्रह में वृद्धि होगी। हालांकि, ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे
व्यापारियों के लिए डिजिटल भुगतान को अपनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसके लिए
सरकार जागरूकता अभियान और तकनीकी सहायता प्रदान करने की योजना बना रही है।
ये बदलाव वित्तीय प्रणाली को मजबूत और पारदर्शी बनाने की दिशा में
एक बड़ा कदम है।